नमक्कल अंजनयार मंदिर — इतिहास, वास्तुकला और दर्शन-मार्गदर्शिका
तमिलनाडु के नामक्कल शहर में स्थित नमक्कल अंजनयार मंदिर दक्षिण भारत के सबसे भव्य और प्रमुख हनुमान मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपने विशाल 18 फीट ऊँचे एकाश्म (एक ही पत्थर से बने) भगवान अंजनयार (हनुमान) की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।
यह प्रतिमा नमागिरी पहाड़ी पर स्थित नरसिंह स्वामी के मंदिर की ओर मुख करके खड़ी है, और हाथ जोड़कर निरंतर उनकी उपासना करते हुए दिखाई देती है। इस प्रतिमा की भव्यता और आध्यात्मिक उपस्थिति मंदिर को अत्यंत विशिष्ट बनाती है।
इतिहास
और पौराणिक कथा
मंदिर की कथा गहरी भक्ति और पुराणों से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि यहां देवी लक्ष्मी ने तपस्या की थी, जहाँ भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में प्रकट होकर उनका वरदान स्वीकार किया। उसी समय अंजनयार एक शालिग्राम लेकर देवी लक्ष्मी को दिखाने आए ताकि वे विष्णु की उपस्थिति का अनुभव कर सकें।
अंजनयार शालिग्राम को कुछ समय के लिए लक्ष्मी को सौंपकर चले गए। इसी दौरान वह शालिग्राम बढ़ते-बढ़ते एक विशाल पर्वत—नामागिरी पहाड़—का रूप ले लिया, और भगवान नरसिंह ने वहीं रहने का निर्णय लिया।
जब अंजनयार लौटे, तो वे शालिग्राम को वापस नहीं ले सके, और स्वयं पर्वत के नीचे खड़े होकर नरसिंह की सदैव उपासना करते रहने लगे।
इसी
कथा के आधार पर:
- नरसिंह मंदिर पहाड़ी पर स्थित है
- अंजनयार मंदिर नीचे मैदानी क्षेत्र में है
- और विशाल हनुमान प्रतिमा का नरसिंह मंदिर की ओर मुख होना पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण है।
मंदिर परिसर के कई हिस्सों का निर्माण प्राचीन काल में विभिन्न दक्षिण भारतीय राजवंशों द्वारा करवाया गया माना जाता है।
वास्तुकला
और भव्य प्रतिमा
मंदिर
का सबसे मुख्य आकर्षण
है:
🔹 18 फीट ऊँची एकाश्म हनुमान प्रतिमा
- यह प्रतिमा एक ही पत्थर से तराशी गई है।
- प्रतिमा खुले स्थान पर स्थित है—इसके ऊपर कोई छत नहीं है।
- सूरज की रोशनी प्रतिमा पर सीधे पड़ती है, जिससे यह दिनभर अलग-अलग आभा प्रदान करती है।
- हनुमान जी की मुद्रा ‘अंजलि हस्त’ (हाथ जोड़कर) है, जो नरसिंह भगवान के प्रति निरंतर भक्ति का प्रतीक है।
मंदिर में सुंदर स्तंभों वाला मंडप, द्रविड़ शैली की वास्तुकला और त्योहारों के दौरान सजावट देखने योग्य होती है। प्रतिमा का आकार, भाव और सौंदर्य श्रद्धालुओं को अत्यंत प्रभावित करता है।
पूजा-पद्धति, उत्सव और आध्यात्मिक महत्व:-
मंदिर
में वैखानस अगम परंपरा के अनुसार पूजा
की जाती है। प्रतिदिन
चार मुख्य आरतियाँ होती हैं:
- सवेरे
- दोपहर
- शाम
- रात्रि
त्योहारों
के समय मंदिर में
विशेष पूजा, अलंकरण और शोभायात्राओं का
आयोजन किया जाता है।
प्रमुख
उत्सव:
- पंगुनी ऊथिरम (मार्च–अप्रैल)
– इस
दिन नगर भर में
भव्य शोभायात्रा होती है।
- अंजनयार जन्मोत्सव (हनुमान जयंती)
-
– हजारों भक्त दर्शन और प्रार्थना के लिए आते हैं।
भक्त
यहाँ विशेष रूप से:
- विवाह में सफलता
- संतान प्राप्ति
- शिक्षा-सफलता
- ग्रह-दोष शांति
के लिए प्रार्थना करने
आते हैं।
मंदिर
का प्रबंधन तमिलनाडु के HR&CE विभाग द्वारा किया जाता है।
दर्शन
का समय, पहुँच और यात्रा जानकारी
समय
(सामान्यतः):
- सुबह: 6:30 AM – 1:00
PM
- शाम: 4:30 PM – 9:00
PM
(त्योहारों
में परिवर्तन संभव है)
कैसे
पहुँचें:
- नामक्कल शहर तमिलनाडु के मध्य-दक्षिण भाग में स्थित है।
- नज़दीकी बड़े रेलवे स्टेशन: सेलम, इरोड
- नज़दीकी हवाई अड्डा: सेलम एयरपोर्ट (लगभग 60 किमी)
- नामक्कल बस स्टैंड से मंदिर पैदल दूरी पर है।
सबसे
अच्छा समय:
- सुबह सूर्योदय के समय
- या शाम को सूर्यास्त से पहले
- फोटो लेने के लिए यह समय विशेष रूप से सुंदर माना जाता है।
मंदिर
पहुँचने पर क्या अनुभव होगा
मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करते ही विशाल, खुले आकाश के नीचे खड़ी हनुमान प्रतिमा श्रद्धालुओं को अभिभूत कर देती है। त्योहारों के समय प्रतिमा फूलों की माला, हल्दी, चंदन या मक्खन से सजाई जाती है—जो दक्षिण भारत के कई हनुमान मंदिरों की पारंपरिक शैली है।
भक्त
आमतौर पर:
- मालाएँ
- नारियल
- प्रसाद
- और विशेष पूजा के लिए आवेदन
साथ
लेकर आते हैं।
ड्रेस
कोड:
– साधारण,
संयमित वेशभूषा रखना बेहतर माना
जाता है।
– अंदर
फोटो-ग्राफी कुछ क्षेत्रों में
प्रतिबंधित हो सकती है
(स्थानीय निर्देश देखें)।
यात्रियों
और फ़ोटोग्राफ़रों के लिए सुझाव
- प्रतिमा सुबह के समय सुनहरे प्रकाश में बेहद सुंदर दिखती है—फ़ोटोग्राफी के लिए श्रेष्ठ समय।
- सप्ताह के कामकाजी दिनों में भीड़ कम रहती है।
- यदि शांति चाहिए, तो बड़े त्योहारों वाले दिन न जाएँ।
- यात्रा को और अर्थपूर्ण बनाने के लिए नरसिंह स्वामी मंदिर (नमागिरी पहाड़ी) की यात्रा भी शामिल करें।
- पानी, कैप और आरामदायक जूते साथ रखें।
- यदि रुकने की योजना है, तो आसपास कई धर्मशालाएँ और बजट होटल उपलब्ध हैं।
आज
का महत्व
नमक्कल
अंजनयार मंदिर भक्ति, पौराणिक इतिहास और कला का
अद्भुत संगम है। विशाल
एकाश्म
हनुमान प्रतिमा, खुला गर्भगृह, और पहाड़ी पर स्थित नरसिंह मंदिर—यह त्रिवेणी इस स्थान को असाधारण बनाती है। चाहे आप आध्यात्मिक शक्ति के लिए आएँ या वास्तुकला और भव्यता देखने, यह स्थान हर आगंतुक के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ता है।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------


No comments:
Post a Comment