1.Rameshwar Jyotirlinga with Aries
रामेश्वर
ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में भगवान राम द्वारा स्थापित
है. रामेश्वरम मेष राशी के
ज्योतिर्लिंग हैं जो सूर्य
के उच्च होने का
स्थान है. हमारे जीवन
में सूर्य का अर्थ होता
है आत्मा, सत्य और राजस.
यह वो राशि है
जहां सूर्य में सबसे अधिक
ऊर्जा होती है.
Rameshwar Jyotirlinga is established by Lord Rama in Tamil Nadu. Rameshwaram is the Jyotirlinga of Mesh Rashi which is the place of exaltation of Sun. In our life, sun means soul, truth, and rajas. This is the sign where Sun has maximum energy.
2. 2.Somanath
Jyotirlinga with Taurus
सोमनाथ
ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र
(काठियावाड़) के वेरावल बंदरगाह
में है. कहा जाता
है कि इसका निर्माण
स्वयं चन्द्रदेव ने किया था.
१०२२ ई में इसकी
समृद्धि को महमूद गजनवी
के हमले से सर्वाधिक
नुकसान पहुँचा था। इस प्रसिद्ध
मंदिर को अतीत में
छह बार ध्वस्त एवं
निर्मित किया गया है
वृष राशी चन्द्र का
उच्च स्थान है. यह अच्छे
स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता,
मन, सुख, माता और
रस का कार है.
Somnath Jyotirlinga is in Veraval port of Saurashtra region (Kathiawad) of Gujarat. It is said that it was built by Chandradev himself. In 1022 AD, its prosperity suffered the most from the attack of Mahmud Ghaznavi. This famous temple has been destroyed and rebuilt six times in the past. Taurus is the exaltation of Moon. It is the car of good health, immunity, mind, happiness, mother and juice.
3. 3.Nageshwar
Jyotirlinga with Gemini
यह
गुजरात के द्वारका जिले
में स्थापित है. इस ज्योतिर्लिंग
का नाम नागों के
राजा के नाम पर
है. जैमिनी ज्योतिष पद्धति में इस राशी
को राहु के लिए
उच्च माना जाता है.
इस की पूजा से
बहुत अधिक संख्या में
लोगों को वशीभूत किया
जा सकता है. पराक्रम
भी बढ़ता है और ताकत
भी.
It is located in Dwarka district of Gujarat. This Jyotirlinga is named after the king of snakes. In Jaimini astrology, this sign is considered exalted for Rahu. Many people can be subjugated by worshiping this. Bravery also increases and strength also.
4. 4.Omkareshwar
Jyotirlinga with Cancer
ओंकारेश्वर
ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में
नर्मदा तट पर बसा
है. यह मध्यप्रदेश के
खंडवा जिले में नर्मदा
नदी के बीच मन्धाता
व शिवपुरी नामक द्वीप पर
स्थित है. यहां ॐकारेश्वर
और मामलेश्वर दो पृथक-पृथक
लिंग हैं, परन्तु ये
एक ही लिंग के
दो स्वरूप हैं।
Omkareshwar
Jyotirlinga is situated on the banks of Narmada in Madhya Pradesh. It is
situated on an island named Mandhata and Shivpuri between Narmada river in
Khandwa district of Madhya Pradesh. Here Omkareshwar and Mamelleshwar are two
separate genders, but they are two forms of the same gender.
5. 5.Grishneshwar Jyotirlinga with Leo
इनका
स्थान महाराष्ट्र प्रांत में दौलताबाद स्टेशन
से बारह मील दूर
बेरूल गांव के पास
है। इन्हें थुशनेश्वर भी कहते हैं.
ये तपस्वियों के राजा के
नाम पर है. इनमें
पुराने पापों को क्षमा करने
की प्रवृत्ति है.
His place is near Berul village, twelve miles away from Daulatabad station in the province of Maharashtra. He is also called Thushneshwar. It is named after the king of ascetics. They have the tendency to forgive old sins.
6. 6.Mallikarjun Jyotirlinga with Virgo
आन्ध्र
प्रदेश प्रांत के कृष्णा जिले
में कृष्णा नदी के तटपर
श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान
हैं। ये भक्त शिरोमणि
के नाम पर है.
यह बुध ग्रह का
उच्च स्थान है.
Sri Mallikarjuna is seated on Mount Srishail on the banks of Krishna river in Krishna district of Andhra Pradesh province. This devotee is in the name of Shiromani. This is the exalted position of the planet Mercury.
7. 7.Mahakaleshwar
Jyotirlinga with Libra
यह
मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र
में क्षिप्रा नदी के तटपर
पवित्र उज्जैन नगर में विराजमान
है। यह शनि देव
का उच्च स्थान है.
शनि देव समय का
संचालन करते हैं.
It is situated in the holy city of Ujjain on the banks of the Kshipra River in the Malwa region of Madhya Pradesh. This is the high place of Shani Dev. Shani Dev controls the time.
8. 8.Vaidyanath
Jyotirlinga with Scorpio
यह
झारखण्ड के देवघर में
स्थित है सनातन धर्म
वैद्यनाथ दैविक चिकित्सक के नाम पर
है. यहाँ आकर शारीरिक,
मानसिक और आध्यात्मिक विकास
होता है और क्षति
पूर्ती होती है. कुण्डलिनी
के उत्थान के लिए इस
ज्योतिर्लिंग की आराधना आवश्यक
है.
It is situated in Deoghar, Jharkhand and is named after Sanatan Dharma Vaidyanath divine doctor. By coming here, physical, mental, and spiritual development takes place and damages are rectified. Worship of this Jyotirlinga is necessary for the upliftment of Kundalini.
9. 9. Kashi
Vishwanath Jyotirlinga with Saggitarius
यह
बनारस (जो विश्व का
सबसे पुराना जीवित शहर हैं और
जिसे वाराणसी भी कहते हैं)
में गंगा नदी के
पश्चिमी तट पर बसा
हुआ है. विश्वनाथ सभी
देवताओं के राजा हैं.
जैमिनी अनुसार ये केतु का
उच्च स्थान है. आत्मा की
मुक्ति के लिए इस
ज्योतिर्लिंग की आराधना उपयुक्त
है.
It is situated on the west bank of river Ganga in Banaras (which is the oldest living city in the world and known as Varanasi). Vishwanath is the king of all the gods. According to Jaimini, this is the high place of Ketu. Worshiping this Jyotirlinga is appropriate for the salvation of the soul.
10. 10.Bhimashankar
Jyotirlinga with Capricorn
भीमाशंकर
ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे से
लगभग धर्म 100 किमी दूर सहाद्रि
नामक पर्वत पर स्थित है
और मोटेश्वर महादेव के नाम से
भी जाना जाता है.
यह मंगल का उच्च
स्थान है. यह ज्योतिर्लिंग
शिव को अतुलनीय योद्धा
दर्शाता है, चाहे रामायण
में हनुमान हों या महाभारत
में भीम.
Bhimashankar Jyotirlinga is located about 100 km from Pune in Maharashtra on a mountain named Sahadri and is also known as Moteshwar Mahadev. This is the exalted position of Mars. This Jyotirlinga represents Shiva as the incomparable warrior, be it Hanuman in the Ramayana or Bhima in the Mahabharata.
11. 11.Kedarnath
Jyotirlinga with Aquarius
श्री
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग केदार नामक एक पर्वत
पर और पहाड़ों के
पूर्वी ओर नदी मंदाकिनी
के स्त्रोत पर, हिमालय पर
स्थित है. यह राहू
और शनि का स्थान
है. जीवन से अन्धकार
और दुविधा दूर करने के
लिए इनकी आराधना उपयुक्त
है.
Shri Kedarnath Jyotirlinga is situated on a mountain named Kedar and on the eastern side of the mountains, at the source of the river Mandakini, on the Himalayas. This is the place of Rahu and Shani. To remove darkness and confusion from life, their worship is appropriate.
12 Trimbakeshwar Jyotirlinga with
Pisces
त्रयम्बकेश्वर
ज्योर्तिलिंग नासिक में स्थित है.
यह नासिक जिले में पंचवटी
से 18 मील की दूरी
पर ब्रह्मगिरि के निक गोदावरी
के किनारे है। इस स्थान
पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम
भी है। यह शिव
जी के तीन नेत्रों
का स्थान है. यहाँ शुक्र
उच्च के माने जाते
हैं. मृत्युंजय मंत्र इस ज्योतिर्लिंग से
सम्बंधित है. इनकी पूजा
असाध्य रोगों से लड़ने में
की जाती है. जन्म्म
मरण के चक्र से
छूटने के लिए भी
इनकी पूजा विशेष है.
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